Tabla Praveshika Purna Syllabus in Hindi / English for Gandharva Mahavidyalaya Mandal

 

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खिल भारतीय गांधर्व मण्डल - तबला का  प्रवेशिका पूर्ण का पाठ्यक्रम तथा नोट्स

 

कक्षा – प्रवेशिका पूर्ण

पूर्णाक-125 न्यूनतम-44 क्रियात्मक 75 (न्यूनतम 26) शास्त्र 50 (न्यूनतम 18)

  (शास्र में  वस्तुनिष्ट प्रशन पूछे जायेंगे)

शास्त्र ( मौखिक) :

  • विलम्बित, मध्य और द्रुत लय का ज्ञान।
  • तबला/ पखावज के विभिन्न वर्ण और उन्हें अपने वाद्य पर निकालने की विधि।

(अ) केवल दायें हाथ से बजने वाले वर्ण।
(ब) केवल बायें हाथ से बजने वाले वर्ण।
(स) दोनो हाथ से एकसाथ बजने वाले वर्ण।

  • निम्नलिखित बोलो की निकास विधि –  तिरकिट, तकडां, कड़धा, किटतक, धिड़नग, धिरधिर, त्रक, क्ड़धान, गदीगन।
  • पं० भातखंडे तथा पं० पलुस्कर ताललिपि पद्धतियों की संपूर्ण जानकारी।
  • निम्नलिखित तालों को दोनों ताललिपि पद्धतियों में लिपिबद्ध करने का अभ्यास।

तबला: तीनताल, दादरा, कहरवा, झपताल, रूपक।

पखावज: चौताल, सूलताल, तीव्रा, धमार तथा आदिताल।

  • तीनताल/ चौताल तथा झपताल/ सूलताल के टुकड़ों को पं० भातखंडे ताललिपि पद्धति में लिपिबद्ध करने का अभ्यास।
  • निम्नलिखित शब्दों की परिभाषा :- कायदा, रेला, पलटा, तिहाई, मुखडा, लग्गी, उठान, चक्रदार, मोहरा।

 

क्रियात्मक:

  • निम्नलिखित तालों के ठेकों को हाथ से ताल देकर दुगुन लय में बोलने तथा बजाने का अभ्यास:

तबला: धुमाली,दीपचन्दी,चौताल, तेवरा।               पखावज: धमार, तीव्रा, तीनताल।

  • इस वर्ष के शास्त्र पक्ष में उल्लेखित सभी बोलो को भलिभांति निकालने की क्षमता।
  • निम्नलिखित तालों में विस्तार –

तबला -

  • तीनताल- त्रक तथा धातीधागे का एक-एक कायदा, चार पलटे, तिहाई, एक रेला, चार किस्म एक चक्रदार, दो टुकड़े।
  • झपताल-एक कायदा, दो तिहाई।
  • एकताल- दो तिहाई, दो टुकड़े।
  • दादरा तथा कहरवा में दो सरल लग्गियाँ।
  • रूपक- दो किस्म, दो तिहाई, दो टुकड़े।

पखावज -

  • चौताल- दो रेले, एक पडार, दो साधारण परने, दो चक्रदार परने तथा दो टुकड़े।
  • सूलताल- एक रेला, दो परने।
  • धमार- दो परने, दो तिहाईयां, दो टुकड़े।
  • तीव्रा- ठेके के दो प्रकार, दो परने,दो तिहाईयां।

 

  • तबला छोटा ख्याल अथवा रज़ाखानी गत के साथ तीनताल में संगत करने की क्षमता।

          पखावज– ध्रुपद के साथ संगत करने की क्षमता।

  1. क्रियात्मक में लिखित सभी रचना प्रकारों हाथ से ताल देकर पढन्त।

अंक तालिका:-

  • तालों के ठेके तथा उनको दुगुन में बजाना : 10 अंक,
  • निकास: 10 अंक,
  • तीनताल में वादन: 5 अंक,
  • झपताल, एकताल, रूपक में वादन: 15 अंक,
  • दादरा तथा कहरवा में लग्गियाँ: 5 अंक,
  • साथ संगत (क्रियात्मक पाठ्यक्रम के अनुसार): 5 अंक,
  • हाथ से ताल देते हुए पढन्त: 10 अंक,
  • सामान्य प्रभाव: 5 अंक।

कुल अंक 125 अंक, प्रत्येक विद्यार्थी को 20 मिनट का समय दिया जायेगा तथा विद्यार्थी को वादन लहरा अथवा नगमा के साथ करना होगा।

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Class: Praveshika Purna

Maximum-125 Minimum-44 Practical-75 (minimum - 26) Theory-50 (minimum - 18)

(Objective type questions will be asked)

Theory :

1. Knowledge of Vilambit, Madhya and Drut laya.
2. Bols /syllables played on Tabla.
3. Process of playing the following bols:
Tirakita, takdaSn, Kaddha , Kittak , Ghidnaga, Dhir dhir, Traka, KdadhaSn,
Gadigana.
4. Full knowledge of Pt. Paluskar and Pt. Bhatkhande Notation Systems.
5. Ability to write the following taals in both notation systems:
Tabla: Teentaal, Dadra, Keharva, Rupak, Jhaptaal.

Pakhawaj: Chautaal, Sooltaal, Tivra, Dhamaar & Aditaal.

6. Knowledge of writing the Tukdas of Teentaal/Chartaal and Jhaptaal/Sooltaal in Pt. Bhatkhande
notation system.
7. Definition of the terms:
Kaida, Rela, Palta, Tihai, Mukhda, Laggi, Uthaan, Chakradar, Mohra.

Practical:

  • Ability to recite by hand and play the following taals in single and double laya:
    Tabla: Dhumali, Deepchandi, Chautaal, Tivra.

Pakhawaj: Dhamaar, Tivra, Aaditaal.

  • Ability to play all the bols /syllables from theory section
  • Compositions in the following taals:
    Teentaal: One Kaida each of “Dhati dhage” and “Traka” with 4 variations and Tihai, One Rela, 4 Kisme, One Chakradhar, Two Tukda, 2
    Jhaptaal: One kaida and Two Tihais.
    Ektaal: Two Tihais and Two Tukada.
    Dadra and Keharva: Two simple laggis in each taal.
    Rupak: Two Kisme, Two Tihais, Two Tukda.